Friday, March 29, 2024
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केजरीवाल ने जादुई छलनी से देख कर राजेंद्र कुमार को ईमानदार बना दिया

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Rahul Raj
Rahul Raj
Poet. Engineer. Story Teller. Social Media Observer. Started Bhak Sala on facebook

देश में अफ़रातफ़री मची हुई थी। लोग परेशान होकर इधर-उधर भाग रहे थें। तख़्त पर बैठे भ्रष्ट और क्रूर सिपहसालारों ने आम आदमी का जीना हराम कर रखा था। हज़ारों साल से ऑर्थोडॉक्स सभ्यता और संस्कृति से कुचले जाने वाली भीड़ में एक आदमी ने आसमान की तरफ़ देखा और कराहते हुए पूछा, “हमें मुक्ति दो प्रभु, हमें मुक्ति दो!”

अचानक दूर किसी पहाड़ के ऊपर बिजली कड़कड़ाती है, आसमान फटता है, और बादलों के ऊपर बैठ कर एक महामानव प्रकट होता है। महामानव के हाथ में एक छलनी है, जिसे वो एक बार हवा में घूमाता है, आँखें बंद करते हुए ‘आबरा का डाबरा’ बोलता है, और दो मिनट में देश की सारी भ्रष्ट जनता को एक तरफ़ और ईमानदार जनता को दूसरी तरफ़ खड़ा कर देता है। बैकग्राउंड से तीन बार गूंजती हुई आवाज़ आती है — ‘केजरीवाल, केजरीवाल, केजरीवाल’

हो सकता है कि ये आपको अलिफ़ लैला की कहानी लग रही होगी, लेकिन आज की राजनितिक वास्तविकता ऐसी ही तिलिस्मी हो चुकी है। अरविन्द केजरीवाल और उनके समर्थक मानने लगे हैं कि केजरीवाल के पास एक जादूई छलनी है, जिससे वो भूत, वर्त्तमान और भविष्य के सारे भ्रष्ट लोगो को केवल पहचान ही नहीं सकते, बल्कि उसके साथ साथ उनसे लगे भ्रष्टाचार के सारे दाग को सर्फ-एक्सेल की तरह साफ़ भी कर सकते हैं।

सुबह जगते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कांती शाह के फिल्मों जैसे तीन चार डायलाग ट्वीट करने वाले अरविन्द केजरीवाल ने अपनी ज़िन्दगी का एक्के मक़सद बना लिया है — जो मोदी कहे या करे उसे गलत बता दो, जो मोदी की तारीफ़ करे उसे बेईमान और दलाल बना दो, और अगर पुलिस किसी के ख़िलाफ़ भी कदम उठाये, तो उसे मोदी की साज़िश बता दो। इसी जद्दोजहद में अब केजरीवाल हर उस आदमी का पक्ष लेने लगे हैं जिसके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाई की जा रही हो।

2012-13 से राष्ट्रीय मंच पर भ्रष्टादागी चार के संहारक के रूप में उभरे अरविन्द केजरीवाल ने खुद भी नहीं सोचा होगा कि तीन चार साल में वो भ्रष्टाचारियों और बेईमानों के लिए सबसे बड़े पालनहारे बन जाएंगे। इससे भी दुखद बात ये है कि अरविन्द केजरीवाल के लाखों समर्थक, जो एक समय स्वच्छ राजनीति चाहते थे, जो भ्रष्ट लोगों को जेल के पीछे देखना चाहते थे, आज आँख बंद करके उन्ही बईमानों को बचाने में लग गए हैं।

हाल फ़िलहाल में केजरीवाल ने एक नया शब्द भी सीख लिया है — पोलिटिकल वेंडेटा। इस शब्द को वो हर उस जगह फूंक देते हैं, जहाँ उन्हें अपने नीचे से ज़मीन हिलते दिखती है। तमिलनाडु के मुख्य सचिव के घर और दफ्तर भ्रष्टाचार के आरोप में तलाशी हुई — पोलिटिकल वेंडेटा; बंगाल में सेना ने औपचारिक ड्रिल किया — पोलिटिकल वेंडेटा; अग्रवाल स्वीट्स ने रसगुल्ला का दाम एक रुपया बढ़ा दिया — पोलिटिकल वेंडेटा। इसी शब्द का प्रयोग आज कल केजरीवाल अपने प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के लिए भी कर रहे हैं।

2015 में वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट आशीष जोशी ने एंटी करप्शन शाखा के चीफ को लिखकर राजेंद्र कुमार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए, इसके बाद CBI ने राजेंद्र कुमार के दफ़्तर और घर पर छापा मारा। ये सारे आरोप शीला दीक्षित के सरकार के समय के थे, जिससे आम आदमी पार्टी का कुछ लेना देना नहीं था। मज़ेदार बात ये है कि इसके बाद ही आदमी पार्टी सरकार सरकार नें जोशी को दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड (डीयूएसआईबी) के मेंबर (फाइनेंस) पद से अचानक हटाकर उन्हें वापस केंद्र सरकार में भेज दिया।

ट्रांसपेरेंसी का झंडा लेकर हर जगह घूमने वाले आम आदमी पार्टी के आशीष खेतान ने पूछे जाने पर ये बोल दिया कि उन्हें इसका कारण बताना ज़रूरी नहीं लगता। गुस्से से तिलमिलाए केजरीवाल ने पहले तो मोदी को गलियां दी, फिर देश में आपातकाल आने का राग गाने लगे|

बाद में सीबीआई ने राजेंद्र कुमार को गिरफ़्तार भी किया था। मीडिया में प्रकशित रिपोर्ट के अनुसार राजेंद्र कुमार ने आज सीबीआई पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है, ‘सीबीआई ने उन्हें और मुख्यमंत्री को फंसाने के लिए लोगों पर दबाव डाला और बहुत से लोगों की पिटाई भी की।’ उन्होंने ये भी लिखा है कि सीबीआई ने उन पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाला था। रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि सीबीआई ने राजेंद्र कुमार के आरोपों को झूठा बताया है और ये भी कहा है कि जांच के दौरान उनके ख़िलाफ़ जो भी सबूत मिले उन्हें कोर्ट के सामने पेश किया गया है।

अगर राजेंद्र कुमार पर इतने आरोप हैं, और वो भी एक वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट द्वारा लगाए गए हैं, तो केजरीवाल उन्हें क्यों बचा रहे हैं। लोगों में केजरीवाल के ‘proud of you’ के साथ लिखकर फैलाये गए कई अफ़वाहों को देखा है, कभी जसलीन कौर वाली अफ़वाह की तरह तो कभी अलका लाम्बा की झूठी नौटंकी के रूप में। ऐसे माहौल में राजेंद्र कुमार और केजरीवाल की बातों पर सौ फीसदी यकीन करना भी मुश्किल है।

और क्या केजरीवाल कहना चाह रहे हैं कि अगर तमिलनाडु, बंगाल या दिल्ली का प्रमुख सचिव भ्रष्ट हो, तो उन्हें माफ़ कर दिया जाए ? आज अचानक से केजरीवाल और उनके समर्थकों का भ्रष्टाचार बचाओ आंदोलन देख कर हंसी आती है।

केजरीवाल की छलनी में सीबीआई चोर है, आशीष जोशी चोर है, बस राजेंद्र कुमार ईमानदार है जी। ख़ैर, हर बार की तरह केजरीवाल के समर्थक अंधों की तरह ‘पोलिटिकल वेंडेटा” चिल्ला रहे हैं, और पीछे बैकग्राउंड से तीन बार वही आवाज़ गूँज रही है — ‘केजरीवाल, केजरीवाल, केजरीवाल’

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