Friday, April 19, 2024
10 Articles by

Saurabh Bhaarat

सौरभ भारत

ब्रिटिश चुनाव परिणाम का संदेश

यह चुनावी परिणाम साफ संकेत हैं कि बड़े-बड़े मीडिया गिरोहों, बौद्धिक संस्थानों, वामधारा से प्रदूषित अकादमिक मंचों द्वारा फैलाया गया वितण्डा एक चीज है और आम जनता के मूल्य, मानक, सोच और वास्तविकता बिल्कुल दूसरी चीज।

जॉर्ज साहब के बहाने आज फिर कांग्रेस और सेकुलरों के कुकर्म याद कर लीजिए

इंदिरा की आँख में आँख डालकर उन्हें सर से पांव तक झूठी कहने वाले और कांस्टीट्यूशन क्लब में अम्बेडकर और राजेंद्र प्रसाद के बगल में सोनिया गांधी की तस्वीर देखकर उसे उखाड़ फेंकवाने वाले जार्ज से वंशवाद की चाटुकारिता करने वाला हर कांग्रेसी हद दर्जे की घृणा करता था।

काश, इस कुम्भ के बहाने ही इंडियन स्टेट को विविधता की समझ आ जाती

यदि इंडियन स्टेट के कर्ताधर्ताओं (चाहे नेता हों या प्रशासन या न्यायालय) को हिंदुत्व की इन विविध सुंदरताओं की रत्ती भर भी समझ होती तो सबरीमाला जैसे मूर्खतापूर्ण निर्णय न आते।

क्या हमारी विविधता ही आज हम पर लांछन है?

आए दिन हिंदू मान्यताओं की ना सिर्फ़ मज़ाक उड़ाई जाती हैं बल्कि उनको पिछड़ा और नीचतम कह के उनकी इज़्ज़त भी उतरी जाती हैं: और इन सब में सुप्रीम कोर्ट भी सहभागी बन रही है

गाजी मियाँ का उर्स नहीं, महाराजा सुहेलदेव का विजय दिवस मनाइए

महाराजा सुहेलदेव को राजभर और पासी दोनों ही जातियों के लोग अपनी जाति से जोड़ते हैं।

क्या रमजान का महीना शांति की गारन्टी है?

कई उदाहरणों से स्पष्ट है कि रमजान का महीना कोई शांति की गारन्टी नहीं है।

असल जिंदगी के बाँकेलाल राहुल गांधी

बांकेलाल राहुल गाँधी और उनकी उल्टी पड़ती हुए सांजिशों ने एक बार फिर प्रधान मंत्री का फ़ायदा करवाया

क्या वाकई लोकतंत्र खतरे में है जज साहब?

माननीय जजों की पद की गरिमा का पूरा ध्यान रखते हुए उनके आरोपों पर कुछ सवाल मन में उठते हैं जिनकी चर्चा इस लेख में की जा रही है।

सत्ता के लिए कांग्रेस का संगीन खेल

पंजाब में खालिस्तान, महारष्ट्र में MNS और अब गुजरात में जातिवादी कॉंग्रेस की नीच राजनीति का स्वरूप है.

Latest News

Recently Popular