Friday, March 29, 2024
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राम राम कन्हैया भाई! तनिक हमारा भी सुनिये

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भाई कन्हैया, राम – राम

भाई चिट्ठी लिखने से पहले हम बहुते सोचे कि लिखें या ना लिखें । तुम तो अभी सेलब्रिटी बन गए हो । हज़ार ठो चिट्ठी तो लिखा जा चुका है, कै गो इंटरव्यू । साला फ़ेसबुक, व्हाट्स एप्प, ट्विटर – जहाँ देख़ो तुम्हरे चर्चा। हिला दिए हो माँ कसम।

हाँ तो हम कह रहे थे के बड़ी सोचे कि लिखें कि ना लिखें । लेकिन फिर लगा कि तुम भी तो बिहार के ही हो, अपने ही बगल के आदमी, तो हमरा फ़रज़ बनता है कि जो दिल में आये तुम्हे बता दें । ऊ दिन जब तुम्हरा स्पीच सुने, तुम्हरे जेल से आने के बाद, रोयाँ – रोयाँ खड़ा हो गया । अईसन होता है नेता । “भारत ‘से’ आज़ादी” नहीं “भारत ‘में’ आज़ादी”; का पंच था भाई । कोई तोड़ नहीं । हमका ऊ कन्हैया का याद आ गया, जो हम रोज सुबह भजन में सुनते थे, अनूप जलोटा जी के आवाज़ में । कन्हैया जब पकड़ा जाते थे माखन चुराते-चुराते, तो अम्मा यशोदा से कहते थे – ‘मैं नहीं माखन खायो’ । और फिर जब माँ पूरा विश्वास कर लेती थी कि कन्हैया ने माखन नहीं खाया, तब कहते थे – ‘मैंने ही माखन खायो’। शबद का चमत्कार – ‘मैं नहीं’ से ‘मैंने ही’ | बस थोड़ा सा हेर-फेर और धरती ऊपर, आसमान नीचे । वही चमत्कार उस दिन देखने को मिला कलिजुग के इस कन्हैया के शब्दों में में |

एगो आज़ादी वाली बात भी बड़ी पसंद आई । भूखमरी से आज़ादी, सामंतवाद से आज़ादी, ब्राह्मणवाद से आज़ादी, मनुवाद से आज़ादी, जातिवाद से आज़ादी…. समूचे इंटरनेट तो आज़ादी से भर गया है । एक ठो हम अपनी ओर से जोड़ना चाहते थे अगर इजाज़त हो तो । पाखण्डवाद से आज़ादी । पाखण्डवाद मने Hypocrisy | सबसे आज़ादी मिल जाये, लेकिन Hypocrisy रह जाए तो सब गुड़गोबर है | अब देखो ‘अफज़ल गुरु’ को पूरा सुनवाई करके, सब सबूत पर विचार करके कोर्ट फाँसी दिया तो ‘Judicial Killing’ और उस पर protest । और वही कोरट तुमको बेल पर रिहा किया तो ‘सत्यमेव जयते’ । इसको कहते हैं Hypocrisy, पाखंडवाद।

हमरा बड़ा मन था कि सब अभिव्यक्ति की आज़ादी यानी Freedom of Speech पर ताबड़तोड़ चिल्लाने वाले, कमलेश तिवारी के टाइम भी बोलते । ससुरा प्रेशर बनाते सरकार पर और निकलवाते उसको जेल से, फिर देखते लौण्डे का oratory skill तुम्हरे जैसा है कि नहीं । बढ़िया होता तो नेता बनता, इंटरव्यू आता चैनल -बर – चैनल, नहीं तो घूरता रहता लंठ जईसा । किसको इतना टाइम है हीरो या विलेन बनाने का, लेकिन क्वेश्चन है कि सरकार काहे अंगुली करे ? पर भईया, सरकार ने उसकी आज़ादी छीनी और कोई ‘आज़ादी वाला’ नहीं बोला – बड़ा अफ़सोस है । अब बोलोगे तुम कि सबको ऐसे बोलने की आज़ादी दे दो और दंगा करवाओ देश में, यही चाहते हो का ? ना भाई, कान पकड़त हैं । शांति से जीना सभे चाहत हैं, लेकिन सबको एक जैसा ट्रीटमेंट मिलना चाहिए की नहीं, बोलो ? एक धरम को कछु भी बोलो तो आज़ादी और दूसरे को जेल की चक्की । संविधान सबके लिए बराबर है की नहीं, बोलो?

साला जातिवाद से आज़ादी का सब बात करत है, लेकिन कउनौ माई का लाल में हिम्मत नहीं है कि Uniform Civil Code का बात कर सके । कौनो क्रान्तिकारी ई नहीं बोलता कि जाति वाला आरक्षण बंद होना चाहिए । यही तो अम्बेडकर जी भी बोले थे ना, संविधान बनाते समय कि जाति वाला आरक्षण १० – २० साल में ख़तम हो जाना चाहीं । फिर दिन में दस बार अम्बेडकर जी का नाम लेने वाला, काहे नहीं इसके लिये आवाज़ उठाता । अरे आरक्षणे देना है, तो इनकम देख के दो ना । परिवार का स्थिति देख के दो, कौन बोलेगा । लेकिन आज़ादी (ऑरिजिनल वाला ) के ६० साल बाद भी वही – ई जात, ऊ पात, Xylum-Phylum (इंजीनियरिंग कॉलेज में हम यही बोलते थे ) । साला दिमाग ख़राब हो गया है । और खाली ब्राह्मणवाद से आज़ादी काहे भाई, बनियावाद से आज़ादी, भूमिहारवाद से आज़ादी, दलितवाद से आज़ादी, ई नागिन वोट बैंक वाद से आज़ादी । तुम आवाज़ उठाओ ई सब के आज़ादी के लिए, हम सुर – में – सुर मिलाएंगे । ठीक वैसे ही जैसे हम सुर – में -सुर मिलाये थे अन्ना हज़ारे के साथ, भ्रष्टाचार से आज़ादी के लिए।

भूखमरी से आज़ादी भी ऊही ६० साल से सुन रहे हैं । का हुआ ? कितना प्रोग्राम आया और गया – भूखमरी डायन न हिली । और सबसे जादे ई डायन अपना आसन जमा के बैठ गयी तो हमरे एरिया बिहार – यूपी – बंगाल में । वहीं जहाँ रोजे नारा लगता है Socialism, Secularism और Equality का । मोदी को पानी पी – पीकर कोसने वाला ई काहे नहीं बताता कि केतना ई एरिया से हमरा भाई लोग अपना जोरू पीछे छोड़कर सूरत – अहमदाबाद चला जाता है, भूखमरी से आज़ादी के लिए। काहे एगो कंपनी नहीं आता यहाँ नौकरी देने के लिए, ताकि जिगर पे पत्थर रखके बाहर नहीं जाना पड़े पेट पालने के लिए ? बोलो हम झूठ बोल रहे हैं तो ? हमका आज़ादी चाहिए ई झूठ से, ई फरेब से, ई पाखण्ड से, ई बकवास नारेबाजी से । टीसता है हमको । खून जलता है हमरा।

भईया बोलना आसान है, करना मुश्किल। स्पीच देना आसान है, रोटी देना मुश्किल। खैर ई मानकर की जो कुछ भी हुआ उस दिन JNU में, खासकर भारत की बर्बादी के नारे में- उसमे तुम्हरा हाथ नहीं था, एक ठो सुझाव देंगे अपना समझकर । अच्छा लगे तो मानना । पूरा बड़ नेता बन गए हो अभी । हम चाहत हैं कुछ करो गरीब जनता के लिए, परिवार-समाज के लिए, बड़ा नाम होगा । बड़ ग़रीबी है बिहार में । तुमसे अच्छा कौन जानत होगा । बहुत क्रांति का बात होता हैं इहाँ, बाकी सरकार से बोलो कि माई -बाप एक नौकरी मिलेगी, तो फ़टाक से मुँह बिचका देती है । भूखा सबसे पहले रोटी माँगता है, फिर पेट भर जाए तो समझाओ जितना समझाना है जो विचारधारा।

बाकी सरकार को गरियाने से क्या होगा ? हाँ दो – चार जो उनकी राजनीति के विरोधी हैं, तुम्हे लपक लेंगे तुम्हरे जीभ का लपलपाहट देखकर | उनको तो कोई चाहिए जो दिन-रात गलथोथरी कर सके उनके लिए ।तुम्हरा कैरियर भले बन जाए, भूखमरी से आज़ादी तो ना मिल पायेगी । सरकार तो आएगी – जायेगी, वही तमाशा चलता रहेगा जो चल रहा है ६० साल से । हाँ जमीनी स्तर पर काम करो तो सचमुच कुछ identity बन जाए, तुम्हरा भी, बिहार का भी । हम भी शान से बोलें कि हई देखो ई है ऊ बिहार का लाला, जिसके दिल में गरीबों के लिए टीस है । बाकी मीडिया तो रोज नेता बनाती है, रोज उतारती है । कल तुमसे ज्यादा कोई गबरू जवान मिल गया लप -लप करने वाला, तो तुम्हें छोड़कर उसे लपक लेंगे । कभी केजरीवाल, तो कभी हार्दिक पटेल, तो कभी कन्हैया । बच के रहना उन सबसे । बाकी तुम्हरी समझ।

एक ठो आखरी दरख्वास्त है हमरा हाथ जोड़के । छठी मईया को बड़ा मानते हैं लोग इ एरिया में । तीन – तीन दिन का बड़का उपवास । हम साइंस वाले लोग, हमका नहीं पता कि का सिद्धि मिलती है, ई तप से । लेकिन बड़े सीधे-सादे लोग हैं, एकदम श्रद्धालु । कोई ऊ देवी के बारे कुछ उल्टा – पुल्टा कहे बिना सोचे – समझे खाली चोट पहुँचाने के लिए, तो साथ मत देना उनका । अब कंफ्यूज मत होना कि तब हम कमलेश तिवारी का आज़ादी का बात काहे किये – ‘साला डबल स्टैण्डर्ड’ । तो एक बार फिर हम समझाए देते हैं कि कभी हम उसका आज़ादी का बात नहीं किए । हम बस बोले कि सरकार को सब धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने वाले को एक जैसा व्यवहार करना चाहिए । या तो सबको सज़ा, या सबको आज़ादी । ई छठी मईया वाला हमरा पर्सनल अपील था, काहे हमको दुर्गा माँ वाला थोड़े दिन पहले पता चला इसलिए।

बाकी गुंडवन टाइप के लोगन से जरा बच के रहना । जज साहिबा जो बोली हैं, उनको जेहन में रखना । पी एच डी जल्दी ख़तम कर लेना । बड़ा उम्मीद रहेगा तुमसे।

तुम्हरा भाई
राजेश

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